Ranchi: पासवा के राष्ट्रीय अध्यक्ष आलोक कुमार दूबे ने आज फिर एक बार निजी स्कूलों के मान्यता को लेकर केंद्र सरकार के फरमान और राज्य सरकार द्वारा उस आदेश का पालन करवाने के निर्णय को लेकर कहा की झारखंड के शिक्षा व्यवस्था की नींव हैं निजी विद्यालय,  इन्हें यू डाइस भी प्राप्त है, और झारखंड एकेडमिक काउंसिल में इन्हें आठवीं तक विद्यालय चलाने के लिए स्कूल नंबर भी आबंटित किया है, जिसमें झारखंड के 30 लाख से अधिक गरीब,दलित, आदिवासी,पिछड़े वर्ग के बच्चे गुणात्मक शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं. इतना ही नहीं इन स्कूलों से लाखों लोगों को प्रत्यक्ष रोजगार भी प्रदान हो रहा है। झारखंड के छोटे निजी विद्यालय के लिए केंद्र सरकार का मान्यता सम्बंधित यह निर्णय झारखंड के शिक्षण व्यवस्था को ध्वस्त करने की कुटिल साजिश है. झारखंड के यू डाइस प्राप्त विद्यालयों और जैक स्कूल कोड प्राप्त विद्यालयों को मान्यता के लिए पुनः आवेदन करने को बाध्य करना यह उचित नहीं है ।

पासवा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने झारखंड सरकार से प्रश्न किया कि जब यू डायस प्राप्त विद्यालयों, और आठवीं बोर्ड की परीक्षा के संचालन के लिए जैक से स्कूल नंबर प्राप्त विद्यालयों को आठवीं तक विद्यालय के संचालन के लिए जब जैक ने मान्यता दे दी है तो फिर मान्यता के लिए आवेदन का क्या औचित्य है।

आलोक दूबे ने कहा जब संपूर्ण राष्ट्र में सर्वकालिक भवन और जमीन के बिना कोई शर्त रखें 2009 के आरटीई अधिनियम के तहत मान्यता दी जा रही है तो ऐसी स्थिति में झारखंड में और वह भी झारखंड के सिर्फ निजी विद्यालयों के साथ 2019 के कठिन शर्तों को क्यों जारी रखा गया है।

आलोक कुमार दूबे ने आज स्पष्ट तौर पर कहा कि यू डायस प्राप्त विद्यालयों को बार-बार मान्यता की बात कर झारखंड के निजी विद्यालयों का मनोबल तोड़ने की कार्य कर रही है सरकार। झारखंड के निजी विद्यालयों को सरकार को प्रोत्साहित करना चाहिए कि वह इतने कम पैसे में गुणात्मक शिक्षा प्रदान कर रहे हैं। उन्होंने सरकार से मांग रखा की संपूर्ण भारत के अन्य राज्यों की तरह 2009 के आरटीई एक्ट के तहत झारखंड के निजी विद्यालयों को मान्यता प्रदान करें,उन्होंने स्पष्ट तौर पर कहा कि सिर्फ झारखंड राज्य में लागू आरटीई 2019 के संशोधन को पूरी तरह रद्द करे सरकार।

पासवा राष्ट्रीय अध्यक्ष ने सरकार से मांग की, कि 2019 के पहले स्थापित, यू डाइस प्राप्त विद्यालयों को जिन्होंने मान्यता के लिए प्रपत्र (क)को भरा था उन विद्यालयों को 8 वीं कक्षा तक बोर्ड की परीक्षा देने के लिए झारखंड एकेडमिक काउंसिल ने स्कूल कोड प्रदान कर पूर्व में ही मान्यता दे दिया है उन्हें फिर से मान्यता देने के लिए क्यों परेशान कर रही है सरकार।

उन्होंने सरकार का ध्यान आकर्षण करते हुए कहा कि 2019 के संवैधानिक संशोधन में सिर्फ झारखंड में 5 वीं तथा आठवीं कक्षा तक के ऐसे ऐसे शर्त रखे गए हैं जिसे सीबीएसई और झारखंड एकेडमिक काउंसिल ने 10 वीं और 12 वीं कक्षा तक की मान्यता प्रदान करने के लिए रखा है ; कक्षा 5 तथा कक्षा आठ तक विद्यालय संचालन के लिए संपूर्ण भारत की तरह उपरोक्त शर्तों को निरस्त करते हुए सरकार मान्यता प्रदान करें।

उन्होंने स्पष्ट तौर पर कहा कि संपूर्ण राष्ट्र की तरह झारखंड में 2009 के आरटीई नियम के तहत संचालित हो विद्यालय; सरकारी और निजी विद्यालयों के लिए विद्यालय संचालन का और मान्यता का एक ही नियम हो।

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