RANCHI: झारखंड कांग्रेस के महासचिव आलोक कुमार दूबे ने भाजपा सांसद निशिकांत दुबे द्वारा भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) संजीव खन्ना पर की गई आपत्तिजनक टिप्पणी की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि यह केवल एक व्यक्ति पर नहीं, बल्कि देश की न्यायपालिका और संविधान पर सुनियोजित हमला है। यह बयान लोकतंत्र को कमजोर करने और समाज में हिंसा, नफरत एवं बंटवारा फैलाने की गहरी साजिश का हिस्सा है। दूबे ने कहा कि भाजपा के नेता बार-बार ऐसे भड़काऊ बयान देकर समाज में अस्थिरता फैलाने की कोशिश कर रहे हैं। यह वही प्रवृत्ति है, जिसे लेकर नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने भी चेताया था कि भाजपा लगातार संवैधानिक संस्थाओं की नींव को कमजोर करने की कोशिश कर रही है। सुप्रीम कोर्ट जैसे सर्वोच्च संवैधानिक संस्थान को निशाना बनाना कोई साधारण घटना नहीं, बल्कि लोकतंत्र के खिलाफ एक गहरी साजिश है।

उन्होंने कहा कि अगर ऐसे बयान जनता की भावना में घर कर जाएं, तो देशवासियों का सर्वोच्च न्यायालय और संविधान जैसे पवित्र संस्थानों पर से विश्वास उठ जाएगा। यह न केवल भारत के लोकतांत्रिक ढांचे के लिए खतरनाक है, बल्कि देश की एकता और अखंडता को भी नुकसान पहुंचा सकता है। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा, “ये भाजपा वाले लोग जो रास्ता हिंदुस्तान की जनता को दिखा रहे हैं, अगर देश उस रास्ते पर चल पड़ा, तो देश से अमन-चैन और भाईचारा हमेशा के लिए खत्म हो जाएगा।”

आलोक कुमार दूबे ने कहा कि भारतीय संविधान ने न्यायपालिका को पूर्ण स्वतंत्रता और अधिकार दिए हैं, ताकि वह किसी भी असंवैधानिक कानून को खारिज कर सके और संविधान की रक्षा कर सके। “किसी भी सरकार या पार्टी को यह अधिकार नहीं है कि वह सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को दबाने या नियंत्रित करने का प्रयास करे। इतना ही नहीं झारखण्ड कांग्रेस महासचिव ने भाजपा अध्यक्ष जे.पी. नड्डा के उस बयान को भी खारिज कर दिया जिसमें भाजपा ने कहा कि वह ऐसे बयानों से खुद को अलग करती है। उन्होंने कहा, “अगर भाजपा वास्तव में इन बयानों से खुद को अलग समझती है, तो उसे निशिकांत दूबे से तत्काल इस्तीफा लेकर देश के सामने अपनी नीयत स्पष्ट करनी चाहिए।”

अंत में उन्होंने दो टूक कहा कि भाजपा के नेता बार-बार समाज में अशांति फैलाने, संवैधानिक संस्थाओं को कमजोर करने, और जनता को गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं। “अगर भाजपा अपने नेताओं को ऐसे बयान देने से नहीं रोक सकती, तो उसे इसके लिए जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए। यह देश के लोकतंत्र, न्यायपालिका और संविधान पर सीधा हमला है।”

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!