Ranchi: केंद्र सरकार द्वारा 2025-26 सत्र से सीबीएसई 10वीं और 12वीं की परीक्षा साल में दो बार कराने के फैसले पर वरिष्ठ कांग्रेस नेता आलोक कुमार दुबे ने कड़ा प्रहार किया है। उन्होंने कहा कि बीजेपी सरकार केवल शिक्षा नीति बदलने में लगी है, जिससे छात्रों में असमंजस की स्थिति बनी हुई है।उन्होंने कहा, “नई शिक्षा नीति (NEP) 2020 को लागू हुए 5 साल हो गए, लेकिन इसका असर और उद्देश्य अभी तक स्पष्ट नहीं है। कभी परीक्षा लेनी है, कभी नहीं लेनी, कभी दो बार, कभी तीन बार—इस तरह के प्रयोग सिर्फ छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ हैं। शिक्षा प्रणाली को स्थिरता की जरूरत है, न कि बार-बार बदलने की।”
दो बार परीक्षा लेने से छात्रों पर बढ़ेगा दबाव,सरकार दे स्पष्ट नीति
आलोक कुमार दूबे ने कहा कि बार-बार परीक्षा प्रणाली में बदलाव से छात्रों पर मानसिक दबाव बढ़ेगा। उन्होंने कहा कि बीजेपी सरकार को शिक्षा सुधार के नाम पर इस तरह के प्रयोग बंद करने चाहिए। “बच्चों का भविष्य, देश का भविष्य है और उनके साथ इस तरह की अनिश्चितता ठीक नहीं। सरकार को एक ठोस और स्थायी नीति बनानी चाहिए ताकि छात्र अपने करियर को लेकर आत्मविश्वास महसूस करें।
शिक्षा में राजनीति बंद करे सरकार
उन्होंने शिक्षा प्रणाली को राजनीति से अलग रखने की अपील की और कहा कि “शिक्षा सुधार के नाम पर सरकार जो कर रही है, वह सिर्फ एक दिखावा है। असली मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए कभी परीक्षाओं का पैटर्न बदला जाता है, तो कभी पाठ्यक्रम में बदलाव किए जाते हैं। बीजेपी सरकार शिक्षा के नाम पर सिर्फ गुमराह कर रही है।”
छात्रों, शिक्षकों और अभिभावकों से सलाह जरूरी-आलोक दूबे
कांग्रेस नेता ने मांग करते हुए कहा की शिक्षा नीति में किसी भी बड़े बदलाव से पहले छात्रों, शिक्षकों और शिक्षाविदों से सलाह ली जाए। उन्होंने कहा कि शिक्षा व्यवस्था को बार-बार बदलने से अधिक महत्वपूर्ण है कि इसे मजबूत और सुगम बनाया जाए, ताकि देश के युवा बिना किसी दबाव के बेहतर शिक्षा प्राप्त कर सकें। “शिक्षा कोई राजनीतिक खेल नहीं है, बल्कि यह देश के विकास की नींव है। सरकार को इसे राजनीति से दूर रखना चाहिए,”
आलोक कुमार दुबे ने केंद्र सरकार से अपील की, कि वह परीक्षा प्रणाली को लेकर स्पष्ट नीति बनाए और छात्रों के साथ होने वाले इस मानसिक प्रयोग को तुरंत बंद करे।