Ranchi:शिक्षा सिर्फ अंक लाने की दौड़ नहीं, बल्कि एक ऐसा संस्कार है जो जीवन भर मनुष्य का मार्गदर्शन करता है। इसी उद्देश्य को लेकर गंगा प्रसाद बुधिया सरस्वती विद्यालय, मोरहाबादी में कक्षा दसवीं के टॉपर्स विद्यार्थियों के लिए प्रतिभा सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। दीप प्रज्वलित कर एवं सरस्वती वंदना के साथ कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पासवा के राष्ट्रीय अध्यक्ष आलोक कुमार दूबे ने विद्यालय के प्रतिभावान छात्रों को मेडल एवं प्रमाणपत्र देकर सम्मानित किया।

वहीं इस मौके पर पासवा के राष्ट्रीय अध्यक्ष आलोक कुमार दुबे ने बच्चों और शिक्षकों को संबोधित करते हुए कहा “जीवन में हम सब कुछ कर सकते हैं — धन कमा सकते हैं, नई चीज़ें सीख सकते हैं — लेकिन स्कूल दोबारा नहीं जा सकते। वह समय बीत चुका होता है। स्कूल ही वह स्थान है जहाँ जीवन के पहले संस्कार, अनुशासन और सामाजिक मूल्यों की नींव रखी जाती है।”

उन्होंने यह भी कहा कि आज के दौर में जब कोचिंग संस्थानों की होड़ मची है, तो बच्चे नॉन-स्कूलिंग की ओर बढ़ रहे हैं। इससे उनमें वे संस्कार और सामाजिक अनुशासन नहीं आ पा रहे हैं जो एक स्कूल के वातावरण में सहज रूप से विकसित होते हैं। पासवा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने दसवीं की परीक्षा को, विद्यार्थियों के जीवन की ‘पहली निर्णायक सीढ़ी’ बताया, जिसमें सफलता पाकर वे न केवल अपने भविष्य को मजबूत करते हैं, बल्कि अपने माता-पिता और शिक्षकों का भी नाम रोशन करते हैं।

वहीं इस मौके पर ऐसे बच्चे जिन्होंने 90% या उसके आसपास नम्बर लाये हैं उन्हें विशेष रुप से सम्मानित किया गया, उनमें हीना परवीन,माल्वी कुमारी पाहन,आशुतोष कश्यप, सोहेल अली, आयुष कुमार, अनन्या कुमारी, नितेश मुंडा,तान्या कुमारी, बबली कुमारी यादव,यश राज शामिल थे।वहीं इस अवसर पर विद्यालय के प्रधानाचार्य आशीष कुमार झा, उप-प्रधानाचार्य आनंद कुमार मिश्रा एवं वरिष्ठ शिक्षिका पूजा ठाकुर ने स्कूल परिवार की ओर से सभी अतिथियों का स्वागत किया और पासवा अध्यक्ष का परिचय उपस्थित छात्र-छात्राओं व अभिभावकों से करवाया।

कार्यक्रम में न सिर्फ मेधावी छात्रों को सम्मानित किया गया, बल्कि विद्यालय के समर्पित शिक्षकों को भी उनकी कर्तव्यनिष्ठा, बच्चों के भविष्य को आकार देने में योगदान, और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा केप्रति प्रतिबद्धता के लिए मोमेंटो और सर्टिफिकेट प्रदान किए गए। इस गरिमामय समारोह ने एक बार फिर यह संदेश दिया कि विद्यालय केवल पढ़ाई का केंद्र नहीं है, बल्कि चरित्र निर्माण और सामाजिक चेतना की पहली पाठशाला भी है।

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