Ranchi: गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड होल्डर और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मशहूर कलाकार चार्ली चैपलिन 2 हीरो राजन कुमार आज और कल रांची में हैं। अद्भुत एक्टर राजन कुमार पिछले कई दिनों से राज्य में हैं और इस शहर और राज्य के अपने अनुभवों को उन्होंने शुक्रवार को हरमू के जे. टी बैंक्वेट में प्रेस वार्ता कर साझा किया। चार्ली चैपलिन 2 हीरो राजन कुमार ने झारखंड फिल्म उद्योग को लेकर भी अपने विचार व्यक्त किये।

झारखंड से राजन कुमार का रिश्ता वर्षो पुराना रहा है। जब वह अपने गांव मुंगेर से आगे की पढ़ाई के लिए बाहर निकले तो सबसे पहले हजारीबाग आए थे। झारखंड में रहकर उन्होंने नृत्य की शिक्षा ली, छउ डांस का प्रशिक्षण प्राप्त किया। उन्होंने कहा कि आज जब वर्षो बाद वह यहां आए हैं तो पुरानी यादें एक बार पुनः जाग गई हैं। इस बार झारखंड की यात्रा इसलिए बेहद महत्वपूर्ण रही क्योंकि चार्ली जैसे महान किरदार को जीवंत करना था। हाल ही में प्रभात प्रकाशन की तरफ से सेलिब्रिटी राइटर गाजी मोईन द्वारा लिखित राजन कुमार पर पुस्तक “कारनामे” भी प्रकाशित हुई है।

अभिनेता, एंकर, कवि, राइटर, डायरेक्टर राजन कुमार भाग्यशाली रहे हैं कि उन्हें कई पद्मश्री हस्तियों के करीब रहने का मौका मिला है और उनका आशीर्वाद मिलता रहा है। पद्मश्री विमल जैन हों या फिर झारखंड के पद्मश्री बुलू इमाम। इन लोगों से मिलना उनके लिए अद्भुत होता है।
किसी भी शहर, गांव, राज्य के सबसे सीनियर आर्टिस्ट से मिलना, उन्हें आदर सम्मान देना, उनकी हौसला अफजाई करना, उनसे इन्सपायर होना कभी नहीं भूलते हैं हीरो राजन कुमार। वह अपकमिंग कलाकारो को भी सीनियर कलाकार से मिलवाते हैं ताकि नई पीढ़ी को भी प्रेरणा मिल सके। यही वजह है कि वह 200 किलोमीटर का सफर तय करके पद्मश्री बुलु इमाम से मिलने पहुंचे और उनका आशीर्वाद लिया।

वहीं अगर बात हम पद्मश्री बुलू इमाम की करें तो पद्मश्री बुलू इमाम ने अपने घर को ही म्यूजियम बना दिया है। कई देशों में प्रदर्शनी लगाकर उन्होंने सोहराई कला को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलवाई है। हजारीबाग के पद्मश्री बुलू इमाम ने झारखंड की सभ्यता, संस्कृति और गौरवपूर्ण इतिहास को विश्व को बताने का अनोखा कार्य किया है। उन्होंने इस राज्य की सोहराई एवं खोवर कला को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलवाने में कामयाबी प्राप्त की है। उन्होंने 50 साल से ज्यादा वक्त तक झारखंड के वन, पहाड़ और दूरदराज क्षेत्रो में घूमकर कई ऐतिहासिक चीजों को जमा किया और अपने मकान के ही एक हिस्से को म्यूजियम का रूप दे दिया। उनके साथ समय बिताना राजन ने अपने लिए खुशकिस्मती माना हैं। उनके द्वारा कई कलाकारों की रोजी रोटी भी चलती है।

वहीं पिछले कई वर्षों से बिहार सरकार, जिला प्रशासन और सामाजिक कार्यकर्ता द्वारा हीरो राजन कुमार का नाम भी कला के क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए पद्मश्री हेतु नॉमिनेट होता रहा है। संगीत और कला में इनकी परख सराहनीय है। बाफ्टा जैसी संस्था के फाउंडर अध्यक्ष के रूप में राजन कुमार के योगदान काबिल ए तारीफ हैं। उनके द्वारा स्थापित कलाग्राम में ग्रामीण कलाकार भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी मूर्तियां और कलाकृति बेच पाते हैं।

वहीं प्रेस वार्ता में मौजूद मणिकांत पासवान ने कहा कि राजन कुमार को वे 2015 से जानते हैं।कला के इस उत्कृष्ट नमूने ने प्रेसीडेंट हाउस दिल्ली में अपने मंच संचालन, नृत्य और परफॉर्मेंस से महामहिम राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को प्रभावित किया और वह तालियां बजाने पर मजबूर हो गए। सोनू प्रताप ने कहा कि आज वे जो कुछ भी हैं,वह बाफ्टा की वजह से हैं।


वही इस प्रेस वार्ता के दौरान लेखक के. रहमान ने अपनी लिखी हुई पुस्तक अर्धनारी उपहार स्वरूप राजन कुमार को दी।जिस पर बहुत जल्द फिल्म बनने की संभावना हैं।
प्रेस वार्ता के दौरान सोनू पोद्दार ,अंकुश मिश्रा ,कल्पना कुमारी ,रेखा पांडेय ,अजय कुमार ,मुकेश गोस्वामी ,स्नेहा,मनाली,देवेंद्र पाठक,रुचि कुमारी,जितेंद्र सिंह यादव सहित अन्य उपस्थित थे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!