Ranchi: झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के मुख्य प्रवक्ता लाल किशोर नाथ शाहदेव ने भाजपा प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव के बयान पर पलटवार करते हुए कहा कि बीजेपी बेबुनियाद आरोप लगाकर राजनीतिक अस्थिरता पैदा करने की कोशिश कर रही है। उन्होंने बीजेपी प्रवक्ता द्वारा लगाए गए इन आरोपों को पूरी तरह से बेबुनियाद और तथ्यहीन बताते हुए कहा कि यह भाजपा की घटिया राजनीति का एक और उदाहरण है, जिसका एकमात्र उद्देश्य झारखंड सरकार के जन-कल्याणकारी कार्यों से ध्यान हटाना और राज्य में राजनीतिक अस्थिरता पैदा करना है।

कांग्रेस प्रवक्ता लाल किशोर नाथ शाहदेव ने कहा कि कोई भी निविदा प्रक्रिया सरकार द्वारा निर्धारित शेड्यूल ऑपरेट के आधार पर ही होती है। और शेड्यूल ऑफ रेट में किसी आइटम का अगर जिक्र नहीं है और प्राइस शेड्यूल में उसका प्राइस नहीं है तो उसके लिए कोटेशन आमंत्रित किया जाता है। कोटेशन आमंत्रित करके मैन्युफैक्चरर से या रेपुटेड शॉपकीपर से कोटेशन आमंत्रित कर निविदा प्रक्रिया पूरी की जाती हैं, उसमें कई लोग पार्टिसिपेट करते हैं और जिनका लोएस्ट रेट होता है, वही रेट का प्रवधान प्राकलन में किया जाता है ।इसीलिए यह एकदम गलत है कि बिना कोई राशि का जिक्र किए कोई भी निविदा प्रक्रिया पूरी की जाती है।

लाल किशोर नाथ शाहदेव ने कहा कि प्रतुल शाहदेव घोटाले की पृष्ठभूमि की बात कर रहे हैं, जबकि अभी तक कोई घोटाला हुआ ही नहीं है। ये उनकी कल्पना और निराशा का परिणाम है। उन्होंने चुनौती देते हुए कहा कि वह एक भी ठोस सबूत पेश करें जो यह साबित करे कि अनुमानित राशि का उल्लेख न होने से कोई घोटाला हो चुका है या किसी को अनुचित लाभ मिला है।

उन्होंने कहा कि भवन निर्माण विभाग द्वारा ई-टेंडरिंग प्रक्रिया का पालन किया जा रहा है, जिसे पूरी पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए लागू किया गया है। टेंडर की अनुमानित राशि का विवरण टेंडर पेपर और बीओक्यू में उपलब्ध होता है, जिसे नियमानुसार इच्छुक ठेकेदार प्राप्त करते हैं। यह कोई नई प्रक्रिया नहीं है।

उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने हमेशा झारखंडियत और स्थानीय ठेकेदारों को बढ़ावा देने की बात कही है। भाजपा बताए कि उनके कार्यकाल में कौन सी प्रक्रिया थी और तब कितने छोटे और स्थानीय ठेकेदारों को काम मिलता था? भाजपा के पास राज्य की उन्नति के लिए कोई सकारात्मक एजेंडा नहीं है। इसलिए वे हर दिन मनगढ़ंत कहानियां बनाकर जनता को गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं। उन्हें अपने शासन वाले राज्यों में चल रहे वास्तविक घोटालों पर ध्यान देना चाहिए।

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