Ranchi: लातेहार जिले के एक मिशनरी स्कूल में सामने आए यौन शोषण के मामले पर भारतीय जनता पार्टी द्वारा राज्य सरकार पर किए जा रहे तीखे हमले को झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमिटी के महासचिव आलोक कुमार दुबे ने “शर्मनाक और दोहरे चरित्र वाली राजनीति” करार दिया है। उन्होंने कहा कि भाजपा झारखंड में बच्चों के साथ हुए अपराध को लेकर जितनी सक्रिय दिख रही है, उतनी ही खामोशी उसने ओडिशा और राजस्थान में बच्चों और छात्राओं पर हुए अमानवीय अपराधों पर बरती है। यह दर्शाता है कि भाजपा को बच्चों की सुरक्षा या न्याय से नहीं, बल्कि सिर्फ सत्ता की भूख और राजनीतिक लाभ से मतलब है।
आलोक दुबे ने बताया कि ओडिशा के बालासोर में एक बी.एड छात्रा ने कॉलेज के विभागाध्यक्ष समीर साहू द्वारा यौन संबंध बनाने के दबाव और बार-बार उत्पीड़न से तंग आकर आत्मदाह कर लिया। छात्रा ने 20 जून को कॉलेज के प्रिंसिपल दिलीप घोष की मौजूदगी में विभागाध्यक्ष के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी। यह मामला देश भर में सनसनीखेज है, लेकिन भाजपा ने एक शब्द नहीं बोला। न कोई विरोध, न कोई बयान और न ही किसी जांच की मांग। क्या ओडिशा में एक मासूम छात्रा की जलकर मौत भाजपा के नैतिकता के पैमाने में नहीं आती? इसी तरह राजस्थान के चित्तौड़गढ़ जिले में एक सरकारी स्कूल के शिक्षक शंभू लाल धाकड़ पर 50 से ज्यादा नाबालिग छात्राओं के साथ यौन शोषण और अश्लील संदेश भेजने के गंभीर आरोप लगे हैं। एक बहादुर छात्रा ने शिक्षक का वीडियो बनाकर पूरे मामले का पर्दाफाश किया। आरोपी को पुलिस ने हिरासत में ले लिया, लेकिन भाजपा की ओर से फिर वही खामोशी, वही अनदेखी। भाजपा इस पर चुप क्यों है? क्या इन मासूम बच्चियों की इज्जत और अधिकार सिर्फ इसलिए कम महत्वपूर्ण हैं क्योंकि ये घटनाएं भाजपा शासित राज्यों में हुईं?
बिहार में हाल ही में बाल यौन शोषण के मामलों में चिंताजनक वृद्धि हुई है। यूनिसेफ और राज्य सरकार के संयुक्त कार्यक्रम में यह तथ्य सामने आया कि 2022 में बच्चों के यौन शोषण के मामलों में 25.8% की बढ़ोतरी हुई है। इससे यह स्पष्ट होता है कि बच्चों के खिलाफ अपराधों में वृद्धि हो रही है, जो गंभीर चिंता का विषय है। इसके अलावा, पटना हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से 18 वर्ष से कम उम्र की बच्चियों की आर्केस्ट्रा समूहों द्वारा तस्करी और यौन शोषण के आरोपों पर स्पष्टीकरण मांगा है। कोर्ट ने इसे गंभीरता से लेते हुए राज्य सरकार से दो सप्ताह में जवाब तलब किया है। इस मामले में उच्च स्तरीय कमेटी बनाने की मांग की गई है ताकि इस प्रकार के अपराधों पर रोक लगाई जा सके
यहां तक कि झारखंड में जब भाजपा सत्ता में थी, तब 2018 में पलामू जिले के चैनपुर प्रखंड के एक स्कूल में छात्राओं ने अपने शिक्षक पर महीनों से छेड़छाड़ और उत्पीड़न का आरोप लगाया था। तब भी मामले को दबाने की कोशिश की गई और कोई कड़ी कार्रवाई सामने नहीं आई। उस समय भाजपा सरकार मौन रही और महिला सुरक्षा के सवालों पर कोई सख्त रुख नहीं अपनाया गया।
आलोक दुबे ने कहा कि लातेहार की घटना निश्चित ही गंभीर है, और राज्य सरकार ने इस पर त्वरित संज्ञान लेते हुए कानूनी प्रक्रिया शुरू कर दी है। लेकिन भाजपा जिस तरह से इसे राजनीतिक मुद्दा बना रही है, उससे साफ जाहिर होता है कि उसका उद्देश्य न्याय दिलाना नहीं, बल्कि सियासी फायदा उठाना है। उन्होंने कहा कि भाजपा के नेताओं को पॉक्सो एक्ट और आपराधिक कानूनों की जानकारी होनी चाहिए। जांच प्रक्रिया का अपना एक कानूनी ढांचा होता है, जिसे न तो कोई राजनीतिक पार्टी चला सकती है, न ही मीडिया ट्रायल से बदला जा सकता है।
उन्होंने भाजपा से तीखा सवाल पूछा कि क्या अब पॉक्सो कोर्ट की भूमिका भी भाजपा प्रवक्ताओं को दे दी गई है? क्या हर जांच, हर एफआईआर, हर न्यायिक प्रक्रिया भाजपा के इशारे पर होगी? भाजपा यह क्यों नहीं बताती कि वह झारखंड में बच्चों की आवाज बनने का दावा तो करती है, लेकिन जब बात ओडिशा और राजस्थान जैसे राज्यों की आती है, तो पूरी पार्टी मौन हो जाती है? ये दोहरा चरित्र नहीं तो और क्या है?
सबसे दुर्भाग्यपूर्ण बात यह है कि चूंकि लातेहार की घटना एक मिशनरी स्कूल से जुड़ी है और उसके तार फादर से जुड़े हुए बताए जा रहे है, इसलिए भाजपा इस पूरे मामले को सांप्रदायिक चश्मे से देखने का प्रयास भी कर रही है, जो बेहद निंदनीय है। भाजपा की यही प्रवृत्ति उसे संवेदनशील विषयों पर भी समाज को बाँटने का औजार थमाती है।
कांग्रेस महासचिव ने साफ कहा कि बच्चों की पीड़ा पर सियासत करना सबसे नीच और अमानवीय राजनीति है। कांग्रेस पार्टी हर पीड़ित के साथ खड़ी है, लेकिन वह भाजपा को यह छूट नहीं देगी कि वह मासूमों के आंसुओं को भी सियासी मंच बना ले। उन्होंने चेतावनी दी कि भाजपा अगर वाकई बच्चों की सुरक्षा को लेकर गंभीर है, तो उसे पूरे देश में एक समान रवैया अपनाना चाहिए, वरना जनता सब जानती है कि कौन सच में संवेदनशील है और कौन केवल सत्ता की भूख में अंधा हो चुका है।