Ranchi:झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और झारखंड मुक्ति मोर्चा के संस्थापक शिबू सोरेन के निधन पर झारखंड TMC के प्रदेश कार्यालय में एक श्रद्धांजलि सभा आयोजित की गई। इस अवसर पर बड़ी संख्या में कार्यकर्ता वहां उपस्थित होकर पुष्प चढ़ा शिबू सोरेन को श्रद्धांजलि दिया।
शिबू सोरेन के जीवन पर चर्चा
इस अवसर पर उपस्थित पदाधिकारियों ने दिशोम गुरु आदरणीय शिबू सोरेन के जीवन के बारे में चर्चा किया। ग्राम नेमार से लेकर अब तक के उनके संघर्ष की कहानी पर विस्तार से चर्चा की गई। झारखंड टीएमसी के सचिव दयानंद प्रसाद सिंह ने उनके साथ बिताए पल के याद किया और उनके जीवन के बारे में अपने विचार साझा किए। दयानंद प्रसाद सिंह ने कहा गुरुजी मुझे अपने पुत्र की भांति मानते थे जैसे ही मैंने उनके बारे में सुना मैं निशब्द रह गया.दिशोम गुरु शिबू सोरेन के जाने से हम कह सकते हैं कि यह उनका निधन नहीं है यह देश के एक राजनीतिक युग का अंत है. यह आदिवासियों के एक बड़े संघर्ष का अंत है
प्रदेश अध्यक्ष का वक्तव्य
झारखण्ड टीएमसी के प्रदेश अध्यक्ष ने अपना वक्तव्य देते हुए शिबू सोरेन के जीवन और उनके योगदान को याद किया। उन्होंने कहा कि शिबू सोरेन एक महान नेता थे जिन्होंने झारखंड के लोगों के लिए अपना जीवन समर्पित किया था। जमींदारी प्रथा और शराब के खिलाफ उन्होंने उलगुलान किया था उनके नज़रों में आदिवासी का हित सबसे सर्वोपरि था. शिबू सोरेन ने जल जंगल जमीन की लड़ाई अपने शुरुआती आंदोलन से ही शुरू कर दी थी. शिबू सोरेन के संघर्ष का ही परिणाम है कि आज झारखंड राज्य हम सभी को मिला है.
श्रद्धांजलि सभा में उपस्थित लोग
वहीं इस अवसर पर झारखण्ड टीएमसी के अध्यक्ष फिल्मोन टोप्पो, सचिव दयानंद प्रसाद सिंह, प्रदेश प्रवक्ता संजय कुमार पांडे, उदय भानु सिंह, जयप्रकाश साहू, मोहम्मद मोहसिन, मोहतरमा सारा खातून, राजेश पांडे, सुधांशु शाह एवं काफी संख्या में कार्यकर्ता उपस्थित रहे। सभी ने शिबू सोरेन के निधन पर शोक व्यक्त किया और उनके परिवार के प्रति संवेदना प्रकट की।
हम आपको बता दें कि दिशोम गुरु शिबू सोरेन का निधन दिल्ली के सर गंगा राम अस्पताल में 4 अगस्त को हो गया था. वहीं 7 अगस्त को झारखंड टीएमसी ने शिबू सोरेन के निधन पर श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया था. टीएमसी के द्वारा आयोजित श्रद्धांजलि सभा में उपस्थित लोगों ने उनके जीवन और उनके योगदान को याद किया। यह सभा झारखंड के लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर था जिसमें वे अपने नेता को श्रद्धांजलि दे सकें और उनके जीवन से प्रेरणा ले सकें।