Ranchi:झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के महासचिव सह पासवा के राष्ट्रीय अध्यक्ष आलोक कुमार दूबे की माँग आखिरकार रंग लाई है। सरकार ने शिक्षा विभाग के माध्यम से घोषणा की है कि वर्ष 2026 से झारखंड के सभी स्कूलों के पाठ्यक्रम में जननायक दिशोम गुरु शिबू सोरेन की जीवनी को शामिल किया जाएगा।
हम आपको बता दें कि आलोक दूबे ने 6 अगस्त को सार्वजनिक रूप से अपील की थी कि दिशोम गुरु का संघर्ष और योगदान बच्चों तक पहुँचाया जाए। उन्होंने कहा था कि शिबू सोरेन का जीवन त्याग, संघर्ष और समाज के लिए समर्पण का अद्भुत उदाहरण है, जिससे नई पीढ़ी प्रेरणा लेगी। दुबे ने न केवल किताबों में जीवनी शामिल करने की बात कही थी, बल्कि स्कूलों में निबंध, वाद-विवाद, प्रश्नोत्तरी, पोस्टर प्रतियोगिता, डॉक्यूमेंट्री और अन्य सह-पाठयक्रम गतिविधियों के ज़रिए भी बच्चों तक उनकी विचारधारा पहुँचाने का सुझाव दिया था।
अब सरकार ने एक बड़ा कदम उठाया है, वर्ष 2026 से पहली से 12वीं तक की कक्षाओं में अलग-अलग स्तर पर दिशोम गुरु की जीवनी पढ़ाई जाएगी। प्राथमिक स्तर पर प्रेरणादायी कहानियाँ, माध्यमिक स्तर पर झारखंड आंदोलन और सामाजिक न्याय के संघर्ष, जबकि उच्च स्तर पर उनकी राजनीतिक यात्रा और विचारों का अध्ययन कराया जाएगा।
सरकार के इस फैसले पर आलोक दूबे ने कहा, “यह देखकर खुशी है कि जो विचार हमने 6 अगस्त को रखा था, उसी दिशा में सरकार ने कदम बढ़ाया है। यह झारखंड की अस्मिता को सशक्त करेगा और बच्चों को अपनी जड़ों से जोड़ने का माध्यम बनेगा। मैं मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और शिक्षा विभाग का आभार प्रकट करता हूँ कि उन्होंने इतना ऐतिहासिक निर्णय लिया।”
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि सरकार का यह कदम भले ही स्वतंत्र रूप से लिया गया हो, परंतु इसकी पृष्ठभूमि में समाज और नेताओं द्वारा उठाई गई आवाज़ें महत्वपूर्ण रही हैं। आलोक दूबे जैसे नेताओं की पहल और जनदबाव ने इस वातावरण को तैयार करने में अहम भूमिका निभाई।
झारखंड की राजनीतिक और सामाजिक धारा में शिबू सोरेन के योगदान को नई पीढ़ी तक पहुँचाने के इस फैसले को ऐतिहासिक माना जा रहा है।