Ranchi: पब्लिक स्कूल्स एण्ड चिल्ड्रेन वेलफेयर एसोसिएशन (पासवा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष सह प्रदेश कांग्रेस महासचिव आलोक कुमार दूबे ने कहा है कि झारखंड के शैक्षणिक इतिहास में आज एक महत्वपूर्ण मोड़ आया है जब राज्य सरकार ने शिबू सोरेन की जीवनी को आगामी स्कूल पाठ्यक्रम में शामिल करने का निर्णय लिया है। इस निर्णय के साथ ही राज्य के स्कूली छात्रों को अब देश और प्रदेश के राजनीतिक और सामाजिक इतिहास के एक अनमोल हिस्से से परिचित होने का अवसर मिलेगा। पासवा अध्यक्ष ने इस कदम का स्वागत करते हुए कहा, “हमारी मांग अब पूरी हुई। हमारे द्वारा यह मांग 6 अगस्त 2025 को झारखंड सरकार और शिक्षा विभाग से की गई थी। इस दौरान हमने विस्तार से बताया था कि शिबू सोरेन की जीवनी को किस तरह से स्कूल पाठ्यक्रम में शामिल किया जाए और अलग-अलग कक्षाओं में किस प्रकार के अध्याय होने चाहिए। इस प्रस्ताव का विस्तृत विवरण समाचार पत्रों में भी प्रकाशित हुआ था।आलोक दूबे ने सरकार से यह आग्रह किया था कि शिबू सोरेन के जीवन और उनके संघर्ष को बच्चों तक पहुँचाया जाए ताकि वे उनके नेतृत्व, संघर्ष और आदर्शों से प्रेरित हो सकें। यह सिर्फ एक शैक्षणिक कदम नहीं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए सीख और प्रेरणा का स्रोत भी है।”

पासवा अध्यक्ष ने आगे कहा, “शिबू सोरेन की जीवन यात्रा हमारे प्रदेश के लिए प्रेरणादायक है। उनके द्वारा किए गए सामाजिक और राजनीतिक योगदान को याद रखना और नए पीढ़ी तक पहुँचाना हमारी जिम्मेदारी है। यह निर्णय झारखंड के बच्चों को न केवल इतिहास की समझ देगा, बल्कि उन्हें नेतृत्व, न्याय और सामाजिक समरसता के मूल्य भी सिखाएगा। हमारी पार्टी हमेशा से शिक्षा और समाज सुधार की दिशा में सक्रिय रही है और यह कदम उसी प्रयास का हिस्सा है। यह सिर्फ एक किताब में अध्याय जोड़ने का मामला नहीं है। यह बच्चों के मन में सामाजिक चेतना, नेतृत्व और आदर्शों को स्थापित करने का प्रयास है। हमारे लिए यह गर्व का विषय है कि हमारी माँग को सरकार ने गंभीरता से लिया और इसे लागू किया। इससे यह संदेश भी जाएगा कि झारखंड की नई पीढ़ी अपने इतिहास और नेताओं के संघर्ष से परिचित है। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि कांग्रेस पार्टी व पासवा राज्य में शिबू सोरेन के योगदान को और सम्मानित करने के लिए भविष्य में शिबू सोरेन विश्वविद्यालय स्थापित करने और उनके निवास स्थान को संग्रहालय में बदलने की भी माँग करती रही है।

 

आलोक कुमार दूबे ने अंत में कहा, “हमारे नेताओं और समाज सुधारकों की कहानियाँ आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करती हैं। शिबू सोरेन का जीवन बच्चों के लिए एक मिसाल है। अब हमारे स्कूलों में पढ़ाई जाने वाली किताबों में उनका योगदान हमेशा के लिए दर्ज हो गया है। यह झारखंड की शिक्षा व्यवस्था में एक ऐतिहासिक क्षण है।

शिक्षाविद और सामाजिक कार्यकर्ता इस निर्णय को सकारात्मक बताते हुए कहते हैं कि यह कदम बच्चों में नेतृत्व, सामाजिक सेवा और आदर्शों के प्रति सम्मान की भावना पैदा करेगा। वहीं राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह कदम शिक्षा के क्षेत्र में ऐतिहासिक बदलाव की दिशा में एक ठोस कदम है।

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