Ranchi: भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सह नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी द्वारा एनआईए को भेजे गए पत्र पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के महासचिव आलोक कुमार दुबे ने कहा कि भाजपा के नेता हर गंभीर मुद्दे को राजनीति और भ्रम फैलाने का साधन बना चुके हैं। जिस तरह बिना किसी ठोस प्रमाण और आधिकारिक पुष्टि के एक पूर्व डीजीपी, पुलिस व्यवस्था और राज्य की संस्थाओं पर उंगली उठाई जा रही है, वह न केवल गैर-जिम्मेदाराना है, बल्कि झारखंड की छवि को नुकसान पहुंचाने वाला भी है।मरांडी जी का पत्र जांच से अधिक राजनीतिक शोर पैदा करने के लिए लिखा गया है
आलोक दुबे ने कहा कि बाबूलाल मरांडी का पत्र तथ्यों से अधिक राजनीतिक मकसद से भरा है। जिस मामले की जांच पहले से ही संबंधित एजेंसियों द्वारा की जा रही है, उसे सार्वजनिक पत्रों और सनसनीखेज आरोपों के माध्यम से उछालना भाजपा की पुरानी आदत है। भाजपा का लक्ष्य सत्य तक पहुँचना नहीं, बल्कि राजनीतिक लाभ उठाना है।
झारखंड की कानून व्यवस्था पर प्रश्नचिन्ह लगाना भाजपा की सोची-समझी रणनीति
कांग्रेस नेता ने कहा कि जब भी झारखंड में भाजपा विपक्ष में होती है, वह राज्य की कानून व्यवस्था पर बेवजह हमला बोलकर झारखंड को अस्थिर राज्य दिखाने की कोशिश करती है। मरांडी जी को यह बताना चाहिए कि इतने गंभीर अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क, ड्रोन से हथियारों की खरीद और संगठित अपराध के दावे यदि सही हैं, तो भाजपा सरकार के दौरान इन्हें क्यों नहीं रोका गया? और अगर इन आरोपों का आधार उपलब्ध नहीं है, तो भाजपा जनता को भ्रमित क्यों कर रही है।
एनआईए का दुरुपयोग करने की कोशिश—भाजपा की पुरानी नीति
आलोक दुबे ने कहा कि भाजपा हर संवैधानिक संस्था को अपने राजनीतिक हथियार की तरह उपयोग करना चाहती है।एनआईए, ईडी, सीबीआई जैसे संस्थानों का चयनात्मक उपयोग भाजपा की पहचान बन चुका है। मरांडी जी का पत्र भी उसी दबाव की राजनीति का हिस्सा है, ताकि झारखंड में भय का माहौल बनाया जा सके और विपक्षी नेताओं पर संदेह का बादल खड़ा किया जा सके।”
अपराध और माफिया पर भाजपा का इतिहास सबसे काला नैतिकता का उपदेश देना बंद करें
कांग्रेस महासचिव ने कहा कि झारखंड में अपराध, खनन माफिया, उगाही और गैंगस्टर राजनीति की सबसे मजबूत जमीन भाजपा सरकारों के दौरान तैयार हुई।भाजपा नेताओं के संरक्षण में वर्षों से कोयलांचल से लेकर बोकारो तक माफिया नेटवर्क पनपे हैं। आज उन्हीं माफिया संरचनाओं को कांग्रेस पर थोपना राजनीतिक कपट है।
पूर्व डीजीपी पर बिना जांच निष्कर्ष देना लोकतांत्रिक व्यवस्था पर हमला
आलोक दूबे ने कहा अगर किसी अधिकारी पर आरोप है तो जांच अवश्य होनी चाहिए, लेकिन मरांडी जी ने जो निष्कर्ष पत्र में लिख दिए हैं, वह न्यायिक प्रक्रिया का अपमान है। भाजपा पहले आरोप लगाती है, फिर खुद ही जांच का परिणाम लिख देती है—यह लोकतंत्र के खिलाफ है।”
राज्य की एजेंसियाँ सक्षम—भाजपा का हस्तक्षेप जांच को प्रभावित करेगा
उन्होंने कहा कि झारखंड पुलिस और केंद्रीय एजेंसियाँ अपने विवेक से जांच कर रही हैं।हर जांच को भाजपा के राजनीतिक मंच में बदलना झारखंड के हित में नहीं है। भाजपा का यह रवैया राज्य की संस्थाओं पर अविश्वास और हस्तक्षेप का प्रयास है।
भाजपा पहले अपनी सफेदपोश गठजोड़ की सूची सार्वजनिक करे,
आलोक दुबे ने कहा कि सफेदपोशों को बेनकाब करने की बात करने से पहले भाजपा अपने नेताओं के माफिया संबंधों की सूची सामने रखे। भाजपा के कई नेता खनन, परिवहन, ठेकेदारी और अवैध उगाही से जुड़े मामलों में पहले ही सवालों के घेरे में हैं। उन पर मरांडी जी कब पत्र लिखेंगे। कांग्रेस कानून के शासन में विश्वास करती है—भाजपा अफवाहों और डर की राजनीति में
अंत में आलोक कुमार दुबे ने कहा,कांग्रेस का स्पष्ट मत है कि किसी भी आरोप की जाँच कानून के अनुसार हो। लेकिन भाजपा जिस तरह झारखंड को राजनीतिक अस्थिरता की प्रयोगशाला बनाना चाहती है, उसे किसी कीमत पर स्वीकार नहीं किया जाएगा। राज्य की छवि और जनता की सुरक्षा भाजपा की झूठी राजनीति से ऊपर है। आलोक कुमार दुबे ने कहा कि भाजपा सनसनी फैलाने से पहले तथ्यों और जिम्मेदारी का सम्मान करना सीखे।
