Ranchi: भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी. नड्डा का बयान न सिर्फ़ तथ्यहीन है, बल्कि झारखंड की अस्मिता पर सीधा प्रहार भी है। हम हार मान सकते हैं, लेकिन भाजपा कभी अपनी झूठी जीत और झूठी कहानियाँ मानने से बाज नहीं आती। हार–जीत लोकतंत्र का हिस्सा है, लेकिन झूठ–फरेब भाजपा की राजनीति का स्थायी चरित्र है। जिस तरह भाजपा ने वोट खरीदे जिस तरह भाजपा ने गलत ढंग से सरकारी संस्थाओं का दुरुपयोग किया और वोट चोरी की इससे पूरी बिहार की जनता वाकिफ है इसलिए भाजपा और उनके राष्ट्रीय अध्यक्ष नड्डा जी ढोल बजाने से अच्छा है शर्म कर लें और बिहार की जनता से माफी मांग ले वरना जब सच सामने आएगा तो जनता कभी नहीं माफ करेगी।
गठबंधन हार गया, पर भाजपा इतनी ‘जीत’कर भी बिहार की जनता का भरोसा जीत नहीं पाई — यही उनकी असली हार है।
नड्डा जी यह बताएं —क्या आदिवासियों की आबादी पर यह मनगढ़ंत आँकड़े आपके खोखले राजनीतिक भाषणों को सहारा देने के लिए गढ़े गए हैं? झारखंड की जनता इतना तो जानती ही है कि सर्वाधिक उत्पीड़न, जमीन लूट और आदिवासी अधिकारों पर हमला भाजपा शासन में हुआ है। आज आप उल्टा आदिवासी समाज पर सवाल उठाकर अपने पापों पर पर्दा डालना चाहते हैं।
बांग्लादेशी बताकर झारखंड की बेटियों पर टिप्पणी करना न सिर्फ़ राजनीतिक नीचता है, बल्कि समाज को बाँटने की घृणित कोशिश भी है। भाजपा को जवाब देना चाहिए। क्या झारखंड की पहचान मिटाकर ही आपकी राजनीति चमकती है?
भाजपा के नेताओं को आजकल हर दिशा में, हर मुद्दे पर सिर्फ़ “घुसपैठिए” ही दिखाई देते हैं, जैसे देश के सभी समस्याओं की जड़ मानो यही एक शब्द हो। लेकिन जब असली मुद्दों पर बोलने की बारी आती है,जैसे अभी-अभी इंडिगो फ्लाइट की गंभीर घटना, तो नड्डा जी और भाजपा के पूरे नेतृत्व को अचानक साँप सूँघ जाता है। यह वही नड्डा जी हैं जिन्होंने बड़े-बड़े मंचों से कहा था कि रेलवे स्टेशन को एयरपोर्ट जैसा बना देंगे, लेकिन हकीकत यह है कि भाजपा की नीतियों ने एयरपोर्ट को भी रेलवे स्टेशन से ज्यादा गंदा, अस्त-व्यस्त और असुरक्षित बना दिया है। भाजपा की राजनीति बस लोगों को बाँटने, उँगली उठाने और झूठी कहानी फैलाने में ही मास्टर है, जबकि प्रशासनिक जवाबदेही और सार्वजनिक सुरक्षा जैसे असली सवालों पर यह पार्टी पूरी तरह फेल है। और याद रखिए—जनता सब देख रही है। वह दिन दूर नहीं जब पूरे देश की आवाज़ एक सुर में उठेगी गो मोदी गो
नड्डा जी, झारखंड किसी की जागीर नहीं है।यहाँ की मिट्टी, यहाँ का समाज और यहाँ का संविधान,सब मिलकर तय करेंगे कि राज्य किस दिशा में जाएगा।
आपका बयान उसी सोच का परिणाम है जो आदिवासियों को सिर्फ़ वोट बैंक समझती है। जबकि कांग्रेस उन्हें इस देश की आत्मा मानती है। झारखंड को किसी से मुक्ति चाहिए तो वह भाजपा
