Ranchi: साहिबगंज की एक दुखद घटना को राजनीतिक हथियार बनाकर झूठा नैतिक आवरण ओढ़ने वाले बाबूलाल मरांडी को झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के महासचिव आलोक कुमार दूबे ने करारा जवाब देते हुए कहा है कि जिन लोगों ने राज्य की बुनियादी स्वास्थ्य व्यवस्था को जानबूझकर जर्जर हालत में छोड़ा, वे आज सबसे ज़्यादा शोर मचा रहे हैं। जिस बाबूलाल मरांडी की सरकार ने 18 वर्षों तक शासन किया, वे बताएं कि कितने अस्पताल बनाए, कितने नए डॉक्टर नियुक्त किए और कितनी एंबुलेंस ग्रामीण झारखंड को उपलब्ध करवाई?
आलोक दूबे ने कहा कि झारखंड में अगर आज किसी बीमार को खाट पर ढोकर अस्पताल ले जाना पड़ रहा है, तो उसके लिए जिम्मेदार वही लोग हैं जो वर्षों तक सत्ता में रहकर भी सिर्फ़ घोषणाएं करते रहे। हेमंत सोरेन की सरकार ने उस बर्बादी के ढांचे को सुधरने का बीड़ा उठाया है, जिसे बाबूलाल और उनकी सहयोगी सरकारों ने चौपट किया।
उन्होंने कहा कि हेमंत सरकार की दृढ़ इच्छाशक्ति और स्वास्थ्य मंत्री डॉ. इरफान अंसारी की सतत निगरानी में झारखंड की स्वास्थ्य व्यवस्था को नई दिशा दी जा रही है। जिस राज्य में एक समय लोगों को बुनियादी इलाज के लिए बाहर जाना पड़ता था, अब वहां RIMS-2 के निर्माण की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। यह अस्पताल न केवल झारखंड का बल्कि पूरे एशिया का सबसे बड़ा और अत्याधुनिक चिकित्सा संस्थान होगा। यह हेमंत सरकार की दूरदर्शिता का परिणाम है जो स्वास्थ्य जैसे महत्वपूर्ण विषय पर प्राथमिकता दे रही है।इतना ही नहीं कल ही संथाल परगना के गोड्डा जिला में ग्रामीण विकास मंत्री दीपिका पांडे सिंह के कर कमलों से 50 बेड के एक बड़े अस्पताल का निर्माण कराया गया जिससे वहां के लोगों में अपार खुशी देखी जा सकती है।
आज झारखंड ऐसा राज्य बन चुका है जहाँ स्वास्थ्य मंत्री डॉ. इरफान अंसारी ने 126 विशेषज्ञ डॉक्टरों को नियुक्ति पत्र सौंपे हैं। यह केवल एक नियुक्ति नहीं, बल्कि हर ज़िले को इलाज का सशक्त केंद्र बनाने की दिशा में उठाया गया बड़ा कदम है। इतना ही नहीं, झारखंड में पहली बार डॉक्टरों को यह अधिकार दिया गया कि वे स्वयं अपनी वेतन बोली लगाकर नियुक्ति चुनें — इससे दोहरा लाभ हुआ है: एक ओर डॉक्टरों में पारदर्शी और स्वाभाविक प्रतिस्पर्धा बढ़ी है, वहीं दूसरी ओर योग्य और प्रतिबद्ध विशेषज्ञ स्वास्थ्य सेवा से जुड़ रहे हैं। यह झारखंड को स्वास्थ्य के क्षेत्र में आत्मनिर्भर राज्य बनाने की ऐतिहासिक पहल है, जिसकी मिसाल पूरे देश में दी जा सकती है।
आलोक दूबे ने कहा कि विपक्ष को यह स्वीकार करने में संकोच नहीं करना चाहिए कि हेमंत सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवा पहुंचाने के लिए ठोस कदम उठाए हैं। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों का नवीनीकरण, जिलों में आधुनिक संसाधनों से युक्त अस्पतालों का निर्माण, विशेषज्ञ डॉक्टरों की तैनाती, मेडिकल कॉलेजों में सीटों की बढ़ोतरी, और सबसे अहम, जनता के स्वास्थ्य को सरकार की प्राथमिकता बनाना, यह सब इस सरकार की नीति का हिस्सा है।
उन्होंने कहा कि बाबूलाल मरांडी को इस तरह की दर्दनाक घटनाओं पर सस्ती राजनीति करने से पहले यह बताना चाहिए कि जब उन्हें बार-बार सत्ता का अवसर मिला, तब उन्होंने इस दिशा में क्या किया? जनता सब देख रही है – अब झूठ और छवि निर्माण से वोट नहीं मिलते, काम दिखाना पड़ता है। और यह काम आज हेमंत सरकार कर रही है। प्रदेश कांग्रेस महासचिव ने दो टूक कहा कि यह सरकार न किसी पर एहसान कर रही है और न ही दिखावा, बल्कि ज़मीन पर बदलाव कर रही है। जो हाथी उड़ाकर चले गए थे, उनकी छोड़ी हुई तबाही को संभालना आसान नहीं था, फिर भी झारखंड आज एक बेहतर दिशा में आगे बढ़ रहा है।