Ranchi: भाजपा प्रदेश अध्यक्ष एवं नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी के हालिया आरोपों पर कांग्रेस ने तीखा पलटवार किया है। झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमिटी के महासचिव आलोक कुमार दूबे ने साफ कहा कि राज्य सरकार पुलिस अधिकारियों के पदस्थापन और प्रोन्नति का निर्णय भाजपा नेताओं या केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की अनुमति लेकर नहीं करेगी। आलोक दूबे ने कहा, “झारखंड में पदस्थापन और प्रोन्नति केवल योग्यता, क्षमता और ईमानदारी के आधार पर होगा। भाजपा नेताओं की तरह ‘गणेश परिक्रमा’ और ‘चरण वंदना’ करने वालों को बाहर का रास्ता दिखाया जाएगा। यहां पैरवी और राजनीतिक दबाव पर नहीं, बल्कि काबिलियत पर अधिकारियों को जिम्मेदारी दी जाती है।
पैरवी आधारित राजनीति से बिगड़ेगी कानून व्यवस्था
प्रदेश कांग्रेस महासचिव ने चेतावनी दी कि यदि भाजपा नेताओं की तरह पैरवी और निजी हितों को ध्यान में रखकर पदस्थापन शुरू हो जाए, तो झारखंड में भी कानून व्यवस्था की स्थिति बिहार जैसी हो जाएगी। उन्होंने कहा, “हमारे राज्य में ऐसी स्थिति कभी बर्दाश्त नहीं की जाएगी। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने साफ निर्देश दिया है कि पदस्थापन में केवल मेरिट को महत्व दिया जाए, ताकि जनता को निष्पक्ष और प्रभावी प्रशासन मिले। बाबूलाल मरांडी का यह आरोप कि यूपीएससी की बैठक इसलिए रद्द हुई क्योंकि रिटायरमेंट के बाद भी अवैध तरीके से डीजीपी के पद पर कार्यरत अनुराग गुप्ता को उस बैठक में शामिल रखा गया। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए आलोक कुमार दूबे ने कहा,भाजपा के नेता झूठ और भ्रम फैलाने की राजनीति कर रहे हैं। राज्य सरकार किसी भी नियुक्ति या प्रोन्नति में कानून और प्रक्रिया का पालन करती है। भाजपा को प्रशासनिक प्रक्रिया में हस्तक्षेप करने का कोई अधिकार नहीं है, और न ही हेमंत सरकार ऐसे दबाव में काम करेगी।”
भाजपा की राजनीति बनाम हेमंत सरकार की नीति
कांग्रेस नेता ने कहा कि भाजपा के कार्यकाल में अक्सर योग्यता से ज्यादा चापलूसी और राजनीतिक निकटता को प्राथमिकता दी जाती थी। वहीं, मौजूदा सरकार में अधिकारियों को उनकी काबिलियत और ईमानदारी के लिए पहचाना और सम्मानित किया जाता है। उन्होंने कहा, “झारखंड की जनता ने भाजपा की राजनीति को नकारा है और अब वह पारदर्शी, जनहितैषी और जवाबदेह शासन चाहती है। भाजपा चाहे जितने भ्रम फैलाने की कोशिश करे, लेकिन सच यह है कि हेमंत सरकार जनता के भरोसे और संविधान के दायरे में काम कर रही है।”
