Ranchi: रांची की धरती आज आध्यात्मिक ऊर्जा से लबरेज़ हो उठी। शहर के कार्निवाल बैंक्वेट हॉल में जय स्वर्वेद कथा एवं ध्यान साधना सत्र का आयोजन हुआ, जिसने पूरे वातावरण को भक्ति, श्रद्धा और शांति से सराबोर कर दिया। इस अवसर पर विहंगम योग के संत विज्ञान देव जी महाराज का आगमन हुआ। उनके दिव्य प्रवचन और ध्यान साधना ने सैकड़ों श्रद्धालुओं को आत्मिक शांति और जीवन के नए दर्शन से परिचित कराया। संत प्रवर जी ने अपने प्रवचन में कहा कि सत्संगति हमारे जीवन को निखारती है। मानव जीवन का उद्देश्य केवल शरीर की पुष्टि और इन्द्रियों की तृप्ति तक सीमित नहीं है। जीवन का असली मकसद है – लोककल्याण, आत्मजागरण और ईश्वर-साक्षात्कार। उन्होंने समझाया कि जीवन की सभी जटिलताओं की जड़ मन में छिपी होती है। यदि मन साध लिया जाए तो जीवन स्वयं सरल हो जाता है।उन्होंने कहा “बाहर की लड़ाइयाँ भीतर की हार से जन्म लेती हैं। जब मन अशांत होता है तो संसार भी अशांत लगता है। लेकिन यदि भीतर शांति है तो बाहर का हर तूफान भी सहज लगता है।”

स्वर्वेद: ज्ञान का अद्वितीय महाशास्त्र

अपने प्रवचन में उन्होंने विहंगम योग के प्रणेता अनन्त श्री सद्गुरु सदाफलदेव जी महाराज की तपस्या और साधना का उल्लेख करते हुए कहा कि उनकी साधना का ही परिणाम है कि मानवता को स्वर्वेद जैसा अमूल्य महाशास्त्र प्राप्त हुआ। संत प्रवर जी ने बताया कि स्वर्वेद चेतन प्रकाश है, जो अज्ञान और अंधकार को मिटाकर आत्मा को परमात्मा से जोड़ देता है।”सभा में उपस्थित श्रद्धालुओं को संत प्रवर जी ने विहंगम योग की साधना कराई। साधना सत्र में हर साधक ने अनुभव किया कि मानो वर्षों से सुप्त आत्मविश्वास और आत्मचेतना अचानक जाग उठी हो। महाराज जी ने कहा साधना खुद से खुद की दूरी मिटाने का मार्ग है। जब इंसान खुद से जुड़ता है, तभी वह परमात्मा से भी जुड़ता है। संत विज्ञान देव जी महाराज ने विशेष रूप से युवाओं को संबोधित करते हुए कहा जिसमें वायु के समान वेग है, उमंग है, उत्साह है, वही युवा है। जो परिस्थितियों का दास नहीं बल्कि स्वामी है, वही सच्चा युवा है। उन्होंने युवाओं से लक्ष्य पर अडिग रहने, निराश न होने और समाज व राष्ट्रहित में सक्रिय भूमिका निभाने का आह्वान किया।

स्वर्वेद संदेश यात्रा और महायज्ञ का आमंत्रण

इस अवसर पर आयोजकों ने जानकारी दी कि आगामी 25 और 26 नवम्बर 2025 को वाराणसी के स्वर्वेद महामंदिर परिसर में 25,000 कुण्डीय स्वर्वेद ज्ञान महायज्ञ एवं विहंगम योग संत समाज का 102वाँ वार्षिकोत्सव – समर्पण दीप अध्यात्म महोत्सव भव्यता से आयोजित होगा। इसी तैयारी स्वरूप स्वर्वेद संदेश यात्रा का शुभारंभ 29 जून को कश्मीर के श्रीनगर से किया गया था, जो कई राज्यों से होते हुए अब झारखंड की राजधानी रांची पहुँची है। इस यात्रा का उद्देश्य है  सेवा, भक्ति और आत्मजागरण का संदेश जन-जन तक पहुँचाना।

रांची का यादगार आध्यात्मिक क्षण

जय स्वर्वेद कथा केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं था, बल्कि वह आध्यात्मिक अनुभव था जिसने हर साधक के अंतर्मन को छू लिया। साधना सत्र के बाद श्रद्धालु जब बाहर निकले तो उनके चेहरों पर अद्भुत शांति की आभा और मन में नई ऊर्जा साफ झलक रही थी।श्रद्धालुओं का कहना था यह साधारण प्रवचन नहीं, बल्कि आत्मा को झकझोर देने वाली यात्रा थी, जिसने जीवन के उद्देश्य की नई राह दिखा दी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!