Ranchi: झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के मुख्य प्रवक्ता लाल किशोरनाथ शाहदेव ने मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण कार्य को लेकर चुनाव आयोग की मंशा और नीतियों पर गंभीर सवाल उठाए हैं। उन्होंने आयोग पर बिहार में एसआईआर की सफलता का दावा करने पर आपत्ति जताई है, जबकि वहाँ मतदाताओं ने इसका पुरजोर विरोध किया था। उन्होंने कहा कि एसआईआर जो बिहार में हुआ तो बिहार को लोकतंत्र की हत्या का एक प्रयोगशाला बनाया गया और अब 12 राज्यों में वही दोहराया जा रहा है। बिहार के एसआईआर से चुनाव आयोग अपनी विश्वसनीयता खो चुका है। चुनाव आयोग ने 2003 में जो एसआईआर किए थे उसके दिशानिर्देश सर्वाजनिक करें और उन्हीं दिशानिर्देश पर चले। वरना चुनाव आयोग पर बहुत बड़ा धब्बा लग चुका है।

लाल किशोरनाथ शाहदेव ने कहा कि मतदाता सूची में नाम जोड़ना या काटना एक सतत प्रक्रिया है, लेकिन पिछले दिनों चुनाव आयोग ने एसआईआर को लेकर जो मंशा रखी, उसे निष्पक्ष नहीं कहा जा सकता। उन्होंने उस बयान को हास्यास्पद बताया, जिसमें मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा कि बिहार के मतदाता एसआईआर कार्य से पूरी तरह संतुष्ट हैं और इसी को देखते हुए फेज-2 में 12 राज्यों में यह कार्य शुरू किया जा रहा है। उन्होंने याद दिलाया कि बिहार में मतदाताओं ने एसआईआर का खुलकर विरोध किया, आपत्ति जताई, और कई जगहों पर चुनाव आयोग के विरुद्ध एफआईआर तक दर्ज कराई गई थी।

कांग्रेस प्रवक्ता ने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग ने जानबूझकर पहचान पत्र (आधार, पैन कार्ड आदि) को लेकर ऐसी बाध्यताएं रखीं, जिन्हें पूरा करने में कई मतदाता सक्षम नहीं हो पाए। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर बाद में सुप्रीम कोर्ट तक को हस्तक्षेप करना पड़ा था। लाल किशोरनाथ शाहदेव ने कहा कि यह पहली बार देखने को मिल रहा है कि एक स्वतंत्र इकाई (चुनाव आयोग) के विरोध में झारखंड सरकार ने प्रस्ताव पारित करके भेजा है कि उनके राज्य में एसआईआर न कराया जाए। इसके अलावा, लगातार नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी भी आयोग पर वोट चोरी को लेकर सवाल खड़े कर रहे हैं, लेकिन आयोग इन पर मौन है।

लाल किशोरनाथ शाहदेव ने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग सवालों का जवाब देने के बजाय अपनी पीठ खुद थपथपा रहा है। उन्होंने कहा कि आज के दिन चुनाव आयोग पर कुछ कहने का मतलब है कि बीजेपी नेताओं की ओर से उसका जवाब आएगा। लाल किशोरनाथ शाहदेव ने गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि चुनाव आयोग पर लोगों का भरोसा घटता जा रहा है और असंतोष बढ़ता जा रहा है। उन्होंने आगाह किया कि केंद्र की सत्ता में बैठी पार्टी चुनाव आयोग की स्वतंत्रता का उपयोग अपने पक्ष में कर रही है, जो कि देश के लोकतंत्र के लिए बहुत ही घातक है और भारत में लोकतंत्र को समाप्ति की ओर ले जाएगा।

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